लखनऊ. उत्तर प्रदेश में थानेदारों के ट्रांसफर पर अब पुलिस मुख्यालय गंभीर हो गया है। बिना ठोस कारण बार-बार थानेदारों को बदलने वाले पुलिस कप्तानों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं । डीजीपी प्रशांत कुमार ने सभी पुलिस कप्तानों और कमिश्रर को निर्देश दिए हैं कि अगर ठोस कारण के बिना थाना प्रभारियों को बार-बार हटाया जाता है, तो संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध प्रतिकूल रुख अपनाया जाएगा। डीजीपी ने कहा कि अगर किसी कार्रवाई के तहत थानेदार को हटाया जाता है तो अगले छह माह तक उसे किसी और थाने का चार्ज नहीं दिया जाएगा।
डीजीपी की तरफ से जारी सर्कुलर में कहा गया है कि जिलों से जानकारी मिल रही है कि थानाध्यक्षों की तैनाती को लेकर मुख्यालय और शासन स्तर से जारी आदेशों का सही से पालन नहीं हो रहा है। मानक और नियम के विरुद्ध थानेदारों की तैनाती की जा रही है। डीजीपी के मुताबिक कई जिलों में प्रभारियों की ओर से बिना पर्याप्त कारण के थाना प्रभारियों को हटा दिया जाता है, जो उचित नहीं है। निर्देशों में कहा गया है कि थानों में इंस्पेक्टर व एसआई की तैनाती उनकी उपयुक्तता, योग्यता, कर्मठता, कार्यकुशलता, सत्यनिष्ठा एवं व्यवहारिक दक्षता के आधार पर की जाएगी।पुलिस मुख्यालय की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि सभी जिलों के कप्तान दावेदारों की सूची को उनके वरिष्ठता क्रम के आधार पर तैयार कर अनुमोदन के लिए एडीजी, आईजी या डीआईजी को भेजेंगे। वरिष्ठ अफसर सूची की समीक्षा के बाद जिले के कप्तान के साथ उस पर विचार विमर्श करेंगे। वरिष्ठ अफसरों को एक सप्ताह के अंदर अनुमोदित सूची कप्तान को भेजनी होगी।