देश को आजादी दिलाने में पीलीभीत का योगदान भी कम नहीं
78 वें स्वतंत्रता दिवस पर विशेष रिपोर्ट
पीलीभीत।
देश आज 78 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। हिन्दुस्तान को आजादी दिलाने में पीलीभीत का योगदान भी कम नहीं है। पीलीभीत के वरिष्ठ पत्रकार संदीप सिंह बताते हैं कि पीलीभीत में आजादी का पहला जश्न रामस्वरूप पार्क में मनाया गया था। जश्न के दौरान रामस्वरूप पार्क के दोनों तरफ झंडे लगाए गए थे। इसके साथ ही शहर में शोभा यात्रा निकालकर आजादी का पहला जश्न मनाया गया था।
पीलीभीत के रहने वाले तमाम लोगों ने भारत की आजादी में अपना अहम रोल अदा किया। पीलीभीत के बीसलपुर समेत जिले भर के अलग-अलग इलाकों से ताल्लुक रखने वाले कई स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत की आजादी के लिए जेल से लेकर सड़क तक आंदोलन किया। आखिरकार 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ। भारत के आजाद होने के बाद देशभर में जब आजादी का जश्न मनाया जा रहा था। तो पीलीभीत में भी तमाम स्वतंत्रता सेनानी शहर के रामस्वरूप पार्क में एकत्र हुए थे। जहां पार्क के दोनों तरफ भारत का झंडा लगाकर आजादी का जश्न मनाया गया था। इसके बाद शहर में एक शोभा यात्रा निकाली गई थी जिसके जरिए हर किसी व्यक्ति को आजादी का जश्न मनाने के लिए प्रेरित किया गया था। बताते हैं की आजादी के जश्न के बारे में कई किताबों में जिक्र है लोकतंत्र सेनानियों के जीवन काल से जुड़ी और आजादी से जुड़ी किताबें में आजादी के जश्न के कई फोटो भी हैं। आजादी से जुड़ी किताब के अनुसार पीलीभीत में आजादी का जश्न मनाने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने एक शोभा यात्रा निकाली थी। जिसके जरिए लोगों के साथ मिलकर स्वतंत्रता सेनानियों ने जश्न मनाया था इसके साथ ही शहर के रामस्वरूप पार्क में भी विशाल जश्न मनाया गया था। काकोरी कांड में पीलीभीत के चार क्रांतिकारी शहीद हुए जिसमें रोशन सिंह, शहीद दामोदर दास व संघ के मंडल कमांडर रामस्वरूप थे। जबकि बीसलपुर का खांडेपुर गांव आजादी के दीवानों से भरा पड़ा था। यहां कुल 23 स्वतंत्रता सेनानी थे। लेकिन तमाम घोषणाओं के बाद भी यह गांव उपेक्षा का शिकार है। रूहेला सरदार हाफिज रहमत खां ने भी आजादी की अलख जगाई थी। हाफिज रहमत खां की बदौलत अंग्रेज रूहेलखंड में नहीं घुस सके थे। उन्होंने अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे। उनका मकबरा आज भी बरेली में है जो देखरेख के अभाव में खंडहर में तब्दील हो गया है। हाफिज रहमत खां ने ही दिल्ली की जामा मस्जिद की तर्ज पर पीलीभीत में ऐतिहासिक मस्जिद का निर्माण कराया था।