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मदद की दरकार.. जितनी ज़रूरत उतनी स्वीकार

शाहजहाँपुर। ख़ुद्दारी खून में होती है…वो झलक भी जाती है। स्वाभिमानी लोग सहायता उतनी ही लेते हैं, जितनी ज़रूरत है। मुफ्त की गंगा में गोते नहीं लगाते। आज ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला। सोशल मीडिया पर एक पीड़ित परिवार की दास्तां सुनकर मदद के लिए वीआईपी ग्रुप की टीम उनके घर पहुँची। राशन की सामग्री दी, लेकिन परिवार ने मना कर दिया। 5100 की राशि भी बामुश्किल ली। महिला का कहना था खाना पीना चल रहा है। बच्चों की पढ़ाई को लेकर दिक्कत आई। तो बच्चों के पिता ने एक पत्र लिख दिया था।

बताते चलें कि कोरोना काल में अपना व्यापार गवां चुके एक लाचार पिता ने जब बच्चों की भारी फीस अदा न कर पाने के कारण एक किडनी ही बेचने का निर्णय ले लिया। इसको सोशल मीडिया पर डाल दिया। इसको देखकर बुधवार की सुबह वीआईपी ग्रुप के सदस्य ग्रुप की अध्यक्ष नीतू गुप्ता के नेतृत्व में वहां पहुँची। ग्रुप के सदस्य राशन सामग्री इत्यादि भी लेकर गए थे, लेकिन बच्चों की मां ने मना कर दिया। पैसा भी नहीं लिया। बमुश्किल बहुत अनुरोध करने पर उन्होंने ग्रुप की ओर से 5100 ₹ की आर्थिक मदद स्वीकार की , और कहा कि बस बच्चों की मदद हो जाए। और कहीं परमानेंट काम मिल जाये बच्चों के पिता को जिस पर ग्रुप की उपाध्यक्ष ज्योति गुप्ता ने उन्हें अपने शोरूम पर काम देने का वायदा किया। अध्यक्ष नीतू गुप्ता व डोरेमोन्स इंटरनेशनल स्कूल की प्रबंधक दीपमाला रस्तोगी ने परिजनों से कहा कि संकट के समय संयम से काम लें और हताश या निराश न हों जीवन में उतार चढ़ाव आते रहते हैं। वीआईपी ग्रुप के द्वारा उनकी हर सम्भव सहायता की जाएगी ग्रुप क्रियेटर अभिनय गुप्ता ने बताया कि उनकी स्कूल प्रवंधक से बात हो गई है। उन्होंने कहा है कि फीस को लेकर कोई भी फोन स्कूल की ओर से नहीं जाएगा। परिवार की हालत इतनी खराब है इसकी उन्हें जानकारी नहीं थी स्कूल की ओर से पूरा सहयोग किया जाएगा। अभिभावक बच्चे को टैम्पू इत्यादि से न भेजकर स्कूल बस से ही भेजें।
इस दौरान ग्रुप के कोषाध्यक्ष कुलदीप गुप्ता , वरिष्ठ पत्रकार अमर दीप रस्तोगी , वरुण शुक्ला , अपूर्व अग्रवाल आदि ग्रुप के सदस्य मौजूद रहे।

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