सितारगंज फोरलेन:भूमि अधिग्रहण घोटाले में 13 अफसर और कर्मचारी दोषी, होगी रिकवरी
UP News: भूमि अधिग्रहण घोटाले में 13 अफसर और कर्मचारी दोषी, होगी रिकवरी
बरेली।
सीडीओ की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी ने दस दिन में जांच पूरी कर 227 पेज की रिपोर्ट डीएम रविंद्र कुमार को सौंप दी है। जांच रिपोर्ट में 13 अफसरों और कर्मचारियों को दोषी माना गया है। बरेली-पीलीभीत-सितारगंज हाईवे और रिंग रोड के भूमि अधिग्रहण में हुए घोटाले में जांच कमेटी ने 13 अधिकारियों और कर्मचारियों को दोषी पाया गया है। जांच में यह भी सामने आया है कि मौके पर उस भवन का कोई अवशेष भी नहीं मिला, जिसके बदले मुआवजा लिया गया था। अब फर्जीवाड़ा कर मुआवजा लेने वालों से वसूली की जाएगी। बरेली-पीलीभीत-सितारगंज हाईवे और रिंग रोड के भूमि अधिग्रहण में फर्जीवाड़ा करने वालों ने जमीन पर बने जिस ढांचे का मुआवजा हासिल किया, उसका मलबा भी मौके पर नहीं छोड़ा। नियमानुसार, यह मलबा एनएचएआई की संपत्ति होता है। जांच कमेटी जब पहुंची तो उसे मौके पर उस भवन का कोई अवशेष भी नहीं मिला, जिसके बदले मुआवजा लिया गया था। अगर विस्तृत छानबीन होती है तो ऐसे कई और मामले सामने आएंगे। अभी तक जो मामले पकड़ में आए हैं, भू स्वामियों से अतिरिक्त रकम की वसूली के साथ ही विधिक कार्रवाई की संस्तुति की गई है। 25 लाख के गोदाम का मूल्यांकन 2.95 करोड़ रुपये दिखाया
रिंग रोड के लिए सरनिया में गाटा संख्या 156 का भू-उपयोग बदला और फिर उस पर बने गोदाम का मनमाने तरीके से मूल्यांकन करके अधिक मुआवजा तय किया गया। 25 लाख के गोदाम का मूल्यांकन 2.95 करोड़ रुपये कर दिया गया। जांच कमेटी का कहना है कि भू-उपयोग परिवर्तन नहीं किया जाता तो मूल्यांकन 1.57 करोड़ रुपये होता। साथ ही 12 प्रतिशत ब्याज की धनराशि भी 52.13 लाख के स्थान पर मात्र 13.56 लाख होतीइस प्रकार भूमि अर्जन पर 3.29 करोड़ रुपये की राजस्व हानि सामने आई। परिसंपत्तियों का मूल्यांकन 5.41 करोड़ रुपये अधिक किया गया। मामले में मोहम्मद शाहिद, मुजीब अहमद, मोहस्सीम, मो.वाहिद पुत्रगण हनीफ अहमद ने इस तरह से 8.70 करोड़ रुपये अधिक मूल्यांकन कराया।