पूनम और गर्भस्थ शिशु की मौत के मामले में डिवीजन बेंच के सामने घंटे भर खड़े रहे अधिकारी, मानवाधिकार आयोग के सदस्यों ने जमकर फटकारा
दो लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश
लखनऊ: स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय पीलीभीत से संबद्ध महिला अस्पताल (एमसीएच विंग) में बीते 5 मई 2024 को इलाज न मिलने से पीलीभीत तहसील क्षेत्र के ग्राम अलीगंज निवासी सात माह की गर्भवती पूनम और उसके गर्भस्थ शिशु की मौत के मामले में मानवाधिकार आयोग की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की। इस दौरान पीड़ित परिवार को 2 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया गया है। मानवाधिकार आयोग की डबल बेंच ने यह आदेश जारी किया।
गुरुवार को लखनऊ स्थित मानवाधिकार भवन में डिवीजन बेंच ने दोपहर 12:30 बजे के बाद सुनवाई शुरू की। इस दौरान जनपद से गए सीएमओ, एसडीएम, महिला अस्पताल के दोषी सीएमएस व स्टाफ मौजूद रहा। सभी अधिकारियों को एक घंटे तक खड़ा रखा गया, और उनकी गलतियों पर जमकर फटकार पड़ी।
सीएमओ को भी जिम्मेदारी न निभाने के लिए दोषी पाया गया। आयोग ने एसडीएम और सीएमओ से कहा- गर्भवती को अस्पताल से जाने के बाद ट्रेस कर इलाज क्यों नहीं मुहैया कराया गया?
आयोग के सवालों पर दोषी कार्यवाहक सीएमएस डॉ. राजेश कुमार हड़बड़ाते दिखाई दिए। वह आयोग के सवालो का सटीक जवाब नहीं दे पाए, जिस पर आयोग में कड़ी नाराजगी जाहिर की। डिवीजन बेंच के सदस्यों ने चैंबर में खड़ा करके कार्यवाहक सीएमएस की फटकार लगाई।
इस दौरान सीनियर रेजिडेंट डॉ. हिना प्रकाश को भी ड्यूटी में लापरवाही के लिए दोषी ठहराया गया। आयोग की डिवीजन बेंच ने सभी को दोषी बताते हुए पीड़ित पक्ष को मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। फिलहाल अब विस्तृत आदेश का इंतजार किया जा रहा है।