
शाहजहांपुर.काकोरी एक्शन का शताब्दी वर्ष चल रहा। वर्ष भर कार्यक्रम होंगे। करोड़ों रूपए खर्च होंगे। शाहजहांपुर का गांधी भवन हालांकि पहले से कामधेनु बना हुआ है। इस पर कई करोड़ खर्च हो चुका है। जिले के आला अफसरों से लेकर सरकार के बड़े मंत्री यहां आए दिन विराजते हैं। यहां की दुर्दशा पर किसी का ध्यान नहीं जाता। अभी हाल में ही लाखों रुपया लगाया गया। फिर भी कुर्सी टूटी हैं। मंच को लकड़ी जगह जगह धस गई है। कलाकारों को चोट लग जाती है। ac के हाल भी ठीक नहीं। बाहर की बात करें..शीर्ष पर लगा बोर्ड टूटा है। सुभाष चन्द्र बोस जी की प्रतिमा पहले उनके प्रतिरूप में थी, न जाने किसका दिमाग़ चला। उसको शनिदेव की तरह काले पेंट से पोत दिया है। अगर काले पत्थर की होती तो भी ठीक था..सीमेंट को काला रंग😢😢… किनारे पर लाल बहादुर शास्त्री जी की है…वहां कुत्ते बैठे हैं। हटाने को उनको हटाया जा सकता था, लेकिन वह फिऱ आएंगे। कोई ऐसी व्यवस्था हो कि जाली लग जाए तो आवारा जानवर न पहुँचे। एक शिलापट पीएम के संदेश का है, वो खुर्दबुर्द हो गया है। नगर निगम ने तो सामान रखने का अड्डा बना लिया है। सुबह सफ़ाई नायकों का जमघट लगता है, जबकि संस्कृति कर्मियों को कोई कार्य करने की परमिशन ही नहीं शुल्क भी देना पड़ता है। ये धरोहर केयर के बगैर जीर्ण शीर्ण होती जा रही है। रिपोर्ट@ बलराम शर्मा