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रानी कर्णावती कैसे बनी मुगल राजा हुमायूं की बहन

रक्षाबंधन पर विशेष

रक्षाबंधन पर विशेष भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है सावन पूर्णिमा पर मनाया जाने वाला रक्षाबंधन का त्यौहार. इस दिन बहनें अपने भाई की रक्षा की कामना करते हुए उनके कलाइयों पर राखी बांधती हैं. भाई भी अपनी बहन की सुरक्षा और देखभाल की जिम्मेदारी लेते हुए उन्हें कुछ तोहफे देते हैं. यह त्यौहार प्रेम और स्नेह की भावना को दर्शाता है. रक्षाबंधन भाई-बहन के बीच मौजूद प्यार की झलक दिखलाता है.

रक्षाबंधन को लेकर कई ऐतिहासिक और पौराणिक घटनाएं प्रचलित हैं. इनका प्रमाण विभिन्न हिंदू ग्रंथों और इतिहास की पुस्तकों में मिलता है. रक्षाबंधन से जुड़ी ऐसी ही कुछ घटनाएं हैं:
रक्षाबंधन का उल्लेख हमें महाभारत काल में मिलता है. पांचाल के राजकुमारी और पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भगवान श्री कृष्ण की कलाई पर राखी बांधकर उन्हें अपना भाई बनाया था.
कैसे बनी रानी कर्णावती हुमायूं की बहन
मेवाड़ की रानी कर्णावती का नाम इतिहास में दर्ज है. साल 1533 ईस्वी में अपने पति महाराणा सांगा की मृत्यु के बाद रानी कर्णावती ने राज्य का शासन संभाला था. इसी वक्त गुजरात के शासक बहादुर शाह ने मेवाड़ पर आक्रमण कर दिया. बिगड़ते हालात को देखते हुए रानी कर्णावती ने मदद के लिए मुगल बादशाह हुमायूं को संधि प्रस्ताव के साथ राखी भेजा था. कर्णावती की राखी और संधि प्रस्ताव स्वीकार करते हुए हुमायूं ने उन्हें अपनी बहन का दर्जा दिया. बहरहाल हुमायूं की सेना समय पर मेवाड़ नहीं पहुंच पाई और 1534 ई में रानी कर्णावती ने हजारों राजपूत महिलाओं के साथ मिलकर जौहर कर लिया.

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