यूपी

मुख्यमंत्री की फटकार के बाद वनमंत्री और अपर मुख्य सचिव दौड़े, मानव वन्य जीव संघर्ष रोकने को की बैठक

पीटीआर के फील्ड डायरेक्टर झूठ बोले- यहां मानव वन्य जीव संघर्ष की नहीं होती घटनाएं

पीलीभीत। मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं रोकने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की क्लास लगने के बाद मंगलवार को प्रदेश के वन मंत्री डॉ.अरूण कुमार सक्सेना और अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह पीलीभीत पहुंचे। संघर्ष रोकने में आने वाली परेशानी पर चर्चा होने के बजाय पीलीभीत टाईगर रिजर्व के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनने की बात कही गयी। ग्रास रूट लेबल पर आने वाली समस्याओं पर चर्चा ही नहीं हुई। कुल मिलाकर टाईगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर विजय सिंह आत्ममुग्धता में कह गए कि पीलीभीत में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटना न के बराबर है और जहां बाघ निकलते है, वह स्थान चिहिन्त है। जबकि वास्तविकता इससे इतर है।
दोपहर 12 बजे बैठक होनी थी, यही समय दिया गया था। बैठक में जिलास्तरीय अधिकारियों, वन विभाग के अधिकारियों, बाघ मित्रों तथा वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने वाले संगठनों के प्रतिनिधियों को इसमें आमंत्रित किया गया था। बैठक के आरंभ में पीलीभीत टाईगर रिजर्व के उपनिदेशक मनीष सिंह ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से पीलीभीत टाईगर रिजर्व के इतिहास की जानकारी देते हुए बताया कि पीलीभीत में 71 बाघ है। 72 गांव जो जंगल से सटे है, अतिसंवेदनशील है। प्राईमरी रिस्पांस टीम, आरआरटी और क्यूआरटी तैयार है। चेन लिंक फेसिंग का 25 किलोमीटर का कार्य पूर्ण हो चुका है। 50 ग्रामों में स्ट्रीट लाइटें लगायी जा रही है, जिससे वन्यजीवों को जंगल से निकलने से रोका जाए। उन्होंने भविष्य की चुनौतियां और समाधान पर भी प्रकाश डाला।
बाघ मित्र राजीव कुमार और श्याम बिहारी ने अपने अनुभव सांझा किये लेकिन कोई समस्या नहीं बतायी। इसी तरह खंड विकास अधिकारी पूरनपुर शिरिष वर्मा ने मानव वन्यजीव संघर्ष की स्थिति में समन्वय की बात कही, लेकिन वे इन घटनाओं को रोकने के लिए किसी प्रकार के बजट के संबंध में जानकारी नहीं दे पाये। इसी तरह मरौरी की खंड विकास अधिकारी मृदुला भी कोई ठोस सुझाव नहीं दे पायी। महोफ के वन क्षेत्राधिकारी सहेंद्र यादव तथा माला के वन क्षेत्राधिकारी रॉबिन सिंह भी कोई समस्या नहीं बता पाये। वन एवं वन्यजीव प्रभाग के उपप्रभागीय वनाधिकारी अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने भी अपने अनुभव साझा किये। पीलीभीत टाईगर रिजर्व के पशु चिकित्सक डॉ.दक्ष गंगवान ने रेस्क्यू आपरेशन के दौरान क्राउड मैनेजमेंट की समस्या को उठाया साथ ही उन्होंने पूरे प्रदेश में वन विभाग के पास केवल दो पशु चिकित्सक होने का मुद्दा उठाया। इस पर अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहाकि इस समस्या के समाधान के लिए प्रयास किये जा रहे है। विश्व प्रकृति निधि के परियोजना अधिकारी नरेश कुमार ने बाघ मित्र को मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने में एक महत्वपूर्ण टूल बताया। जिला गन्ना अधिकारी खुशीराम भार्गव ने जंगल के किनारे गन्ने के खेत में प्राथमिकता के आधार पर पर्चियां दिये जाने की बात कही। डीपीआरओ सतीश कुमार ने ग्रामीणों को जागरूक किये जाने की बात कही लेकिन उन्होंने अभी तक संवेदनशील ग्राम पंचायतों की बैठक न बुलाने की बात स्वीकार की। सीडीओ केके सिंह ने कार्ययोजना में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को रोकने के लिए बजट का प्रावधान किये जाने की बात कही। पुलिस अधीक्षक अविनाश पांडेय ने मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस की क्यूआरटी के बारे में जानकारी दी तथा क्राउड मैनजमेंट किये जाने की चर्चा की। जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह ने एसडीएम, तहसीलदार तथा खंड विकास अधिकारियों की तीन टीमें बनाकर पेट्रोलिंग कराये जाने की योजना की चर्चा की। उन्होंने बताया कि इन घटनाओं में मृतकों तथा घायलों को तत्काल सहायता दिये जाने की बात बताई।
अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने पीलीभीत टाईगर रिजर्व में स्टाफ की कमी की चर्चा करते हुए बताया कि विभाग को 750 वन रक्षक मिले है। उनका प्रयास होगा कि पीलीभीत को अधिकाधिक वन रक्षक प्रदान किये जाएं। उन्होंने पीलीभीत टाईगर रिजर्व के उपनिदेशक से बजट की मांग किये जाने को कहा। विधायक बाबूराम पासवान ने समन्वय बनाये जाने तथा भाजपा जिलाध्यक्ष संजीव प्रताप सिंह ने बाघ मित्रों की संख्या दुगुनी किये जाने की बात कहीं।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए वन मंत्री डॉ.अरूण कुमार सक्सेना ने कहाकि मुख्यमंत्री मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को लेकर चिंतित है। उन्होंने सोमवार को प्रदेश के 11 जिलों में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को लेकर बैठक लेकर प्रभावी कार्यवाही किये जाने के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री चाहते है कि न वन्यजीव को न मानव को कोई नुकसान हो। इसलिए वे संवेदनशील है। उन्होंने कहाकि बाघ मित्रों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं सराहना की है। उन्होंने कहाकि सरकार इस मुद्दे पर संवेदनशील है। उन्होंने कहाकि पीलीभीत की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक पहचान बनी है। यहां मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को न्यूनतम करना है। यहां पर्यटन को बढावा दिया जा रहा है। यहां होटल और उद्योग आयेंगे तो यहां का विकास होगा और स्थानीय निवासियों को इसका लाभ मिलेगा। वे भी कोई ठोस सुझाव नहीं दे पायें। मुख्य वन संरक्षक विजय सिंह ने आभार जताकर बैठक की समाप्ति की।

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